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कबीर दास जी के दोहे



दुःख में सुमिरन सब करें, सुख में करै न कोय
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे होय।।

अर्थ :

कबीर दास जी कहते हैं कि दुःख में परमात्मा को सभी याद करते हैं परन्तु सुख में कोई नहीं। यदि सुख में भी परमात्मा को याद रखते, तो दुःख होता ही नहीं।

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